
Written by परिकल्पना संपादकीय टीम | June 8, 2011 | 0 पुस्तक समीक्षा ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ आदिकाल से ही भारतीय समाज की बुनावट कुछ इस तरह से रही है कि यहाँ पर शुरू से ही दो विभाजन पाए जाते रहे हैं। एक शोषक वर्ग और दूसरा शोषित वर्ग। जिसके पास शक्ति रही, सामर्थ्य रही वह शोषक बन गया और जो कमजोर पड़ा…